Economic Recession – International monetary fund (अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष) ने अपनी एक रिपोर्ट में आधिकारिक तौर पर यह घोषित किया है कि विश्व अव धीरे-धीरे आर्थिक मंदी की धसता जा रहा है। यह रिपोर्ट 27 मार्च को द हिन्दू के एक आर्टीकल में छपी थी। वहीं United Nations Conference on Trade and Development के अनुसार विश्व में आर्थिक मंदी आ चुकी है किंतु दो देश भारत और चीन जो इस मंदी से शायद बच जाये। इसका मतलब यह नहीं चीन तथा भारत ऐसे देश होगें जिन पर मंदी का प्रभाव बिल्कुल नहीं होगा ऐसा इस रिपोर्ट में कहीं लिखा है।
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संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट का टाइटल नेम “The COVID-19 Shock to Developing Countries: Towards a ‘whatever it takes’ programme for the two thirds of the world’s population being left” जारी किया है। जिसमें उन्होंने बताया है कि कोरोना वायरस से होने वाले नुकसान से निकलने का सभी विकसित देशों को एक साथ आना चाहिए।
कैसे होगा नुकसान- Economic Recession
इस कोरोना वायरस के नुकसान में बहुत सी बाते सामनें निकलकर आयेगी जैसे औद्योंगिक, सामजिक, आर्थिक, अन्तराष्ट्रीय सम्बन्ध, अन्तराष्ट्रीय व्यापार, बैरोजगारी, आदि। हाल ही द न्युज पत्रिका में छपी एक खबर के अनुसार पाकिस्तान में जहां लगभग 50-60 मिलियन लोग गरीबी रेखा के नीचे है, जो आगे जाकर अनुमानित 125 मिलियन तक हो सकती है। ऐसा वहां के प्लानिंग कमीशन के ड्युप्टी कमिशनर मुहम्मद जहनवाज खान ने कहा है। ऊपर दी गयी स्थिति सिर्फ उदाहरण स्वरूप है, यह स्थिति कई देश जैसे बांग्लादेश, म्यांमार, इंडोनेशिया, दक्षिण अमेरिकी देश, अफ्रीकी देश, यूरोपीय देश आदि में देखने को मिलेगी।
इस सब का एक ही कारण है कि कोरोना की बजह से पूरी दुनिया लगभग लॉकडॉउन की स्थिति में है, यहां तक की यूनाइटड किंगडम ने अपने यहां 6 माह तक का लॉकडॉउन कर रखा है, और अमेरिका में लॉकडॉउन कब समाप्त होगा इसका अंदाजा लगाना कठिन है। अतः यह स्थिति को देखते हुए यह कहा जा सकता कि दुनिया भर में वस्तु उत्पादन, आर्थिक गतिविधिया, बाजारों में विनिमय होना लगभग अभी समंभव नहीं है, इसके अलावा तेल कंपनियों ने भी अपना उत्पादन लगभग कम कर दिया है। साथ ही दुनिया की ज्यादातर आबादी काम नहीं जा रही ना ही किसी प्रकार की कोई कमाई हो पा रहीं है। अतः विश्व अर्थव्यवस्था के लिए यह बहुत की खराब समय है।
क्या परेशानियाँ Economic Recession में हमें देखने को मिलेगी.
- सबसे बड़ी समस्या बैरोजगारी की होगी, क्योंकि जब कंपनियां कुछ उत्पादन नहीं करेगीं तो उनकों धन की प्राप्ति नहीं होगीं, ऐसी स्थिति में कंपनी अपने कर्मियों को वेतन न दे पाने की स्थिति में ज्यादा लोगों को नौकरी नहीं दे पायेगी।
- दूसरी समस्या यह कि दुनिया भर की बैंकें जो औद्योंगिक लोन देती जिससे उनकी ही उनकी कमाई होती है ऐसी स्थिति में उद्योंग लोन का पैसा नहीं भर पायेंगे। जिससे बैंकों का NPAs बहुत अधिक हो जाएगा। ऐसी स्थिति में बैंकें दिवालिया भी हो सकती है।
- तीसरा परेशानी यह होगी की लोगी के बैरोजगारी कारण उनकी प्रतिव्यक्ति आय कम हो जाएगी, जिससे उनके द्वारा लिये गये व्यक्तिगत ऋण, मकान ऋण, आदि चुकाने समस्या उत्पन्न होगी।
इन सब के अलावा भी कई समस्या दुनिया के सामने आने वाली है।
भारत और चीन पर प्रभाव कम क्यों?
भारत में आर्थिक मंदी के नुकसान कम होने का कारण इनके अनुसार यह कि वर्तमान स्थिति में कोरोना का कम्युनिटी स्प्रिड सामान्य स्तर पर नहीं हुआ। अगर भारत इसको यहीं रोक पाता है तो यह नुकसान कम होने की संभवाना देखी जा सकती है। लेकिन यदि यह कम्युनिटी स्प्रिड कम नहीं हुआ तो भारत एक बहुत ही गंभीर आर्थिक मंदी का सामना करता दिखेगा। वहीं चीन की बात की जाय़े तो उसके बहुत सारे विकल्प अभी उपलब्ध है, दूसरा वहां एक-दो शहरों में ही कोरोना का प्रभाव रहा है। जिससे उसकी आर्थिक स्थिति आधिक खराब नहीं कही जा सकती है। इसके अलावा चीन के पास China’s foreign exchange reserves US$3.107 trillion उपलब्ध है, और यह राशि भारत की जीडीपी कहीं अधिक है। अतः फिलाहल उसके इस समस्या निकलने के कई विकल्प उपल्बध है