जन्मदिन विशेष – प्रेमचंद: प्रेमचंद एक ऐसे रचनाकार, जिनके बगैर आपको हिंदी साहित्य शायद पढ़ने को मिल जायेगा, मगर पूर्णता में नहीं मिलेगा |
आज उनकी जयंती (31 July 1880) है, अपने 56 साल के जीवन में उन्होंने जो योगदान दिया वो साहित्य के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है |
धनपत राय श्रीवास्तव से मुंशी प्रेमचंद बनने की उनकी यात्रा भी कई पड़ावों से गुजरते हुए सम्पन हुई | जिसमे की उन्होंने अध्यापक, लेखक, पत्रकार सभी रूप में काम किया |
“उपन्यास सम्राट” की उपाधि उनके लिए उपयुक्त थी, जो की उन्हें उपन्यासकार शरतचंद्र चटोपाध्याय ने दी थी |
यथार्थवादी परंपरा का सृजन उनके द्वारा किया गया | उर्दू में लिखने के बाद भी उनकी ख्याति हिंदी में भी कम नहीं थी | उर्दू उपन्यास ‘असरारे मआबिद उर्फ़ देवस्थान रहस्य’ उनका पहला उर्दू उपन्यास था, तो वही हिंदी में पहला सेवासदन था |
सेवासदन उर्दू में ‘बाजारे-हुस्न’ नाम से लिखा गया, मगर पहले सेवासदन प्रकाशित हुआ |
‘बाजारे-हुस्न’ पर फिल्म भी बनी, यही नहीं प्रेमचंद ने बतौर लेखक फिल्मो के लिए भी लिखा |
‘मजदूर’ नाम से एक फिल्म लिखी थी, जिसे की बम्बई में ही चलने नहीं दिया गया |
इस फिल्म में उन्होंने एक संक्षिप्त रोल भी किया था |
प्रेमचंद को बम्बई अधिक रास नहीं आयी, और वो एक साल बाद इलाहबाद आ गए
उपन्यास, कहानी, संपादन
किसान जीवन पर उन्होंने “प्रेमाश्रम” उपन्यास लिखा, जो की हिंदी का पहला किसान जीवन पर आधारित उपन्यास है |
रंगभूमि (1925)
कायाकल्प (1926)
निर्मला (1927)
गबन (1931)
कर्मभूमि (1932)
ये सभी उनके उपन्यास रहे, जिसमे की ‘गोदान’ अंतिम रहा |
गोदान पर आपको गुलज़ार द्वारा बनाया हुआ एक सीरियल भी देखने को मिल जायेगा, जिसमे की पंकज कपूर ने अभिनय करके ‘होरी’ नाम के चरित्र को जीवंत कर दिया था |
‘आदर्शोन्मुख यथार्थवाद’ से ‘आलोचनात्मक यथार्थवाद’ दोनों आपको गोदान में दिख जाते है |
मंगलसूत्र नाम का एक उपन्यास अपूर्ण ही रह गया था |
300 से ऊपर कहानियां भी लिखी है प्रेमचंद जी ने जिसमे की
‘पंच परमेश्वर’
‘गुल्ली डंडा’
‘दो बैलों की कथा’
“ईदगाह’
‘बड़े भाई साहब’
‘पूस की रात’
‘कफन’
‘ठाकुर का कुआँ’
‘सद्गति’
‘बूढ़ी काकी’
‘तावान’
‘विध्वंस’
‘दूध का दाम’
‘मंत्र’ आदि लोगो को अभी भी याद होगी |
जिसमे की कुछ को दूरदर्शन ने धारावाहिक के रूप में भी बनाया था, आप इन्हें यूट्यूब पर आसानी से देख सकते है | मर्मस्पर्शी कहानियाँ आपके दिल को छू जाएँगी |
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हंस, माधुरी, जागरण आदि के संपादक भी रहे, और साथ ही अनुवादक के रूप में भी मशहूर हुए “फसान-ए-आजाद”, जिसमे की मुख्य रूप से चर्चित हुआ |
Munshi Premchand’s Stories मुंशी प्रेमचन्द की रचनाएँ
सत्यजीत राय ने उनकी कहानियों पर दो फिल्मे बनाई, “सद्गति” और “शतरंज के खिलाड़ी” दोनों ही सिनेमा को अलग आयाम देती है | सेवासदन पर उनके देहांत के दो वर्ष बाद फिल्म बनी, जिसमे सुब्बालक्ष्मी मुख्य भूमिका में थी |
मृणाल सेन ने “कफ़न” पर आधारित ‘ओका ऊरी कथा’ नाम की एक तेलुगु फिल्म बनाई जिसे की राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला, सर्वश्रष्ठ फिल्म के लिए |
“निर्मला” पर आधारित धारवाहिक भी बनाया गया, बम्बई छोड़ने के बाद भी उनकी कहानियों को फिल्मकारों ने नहीं छोड़ा |
रुसी, चीनी भाषा में भी उनके कार्यो का अनुवाद चर्चित रहा, कलम का सिपाही उनकी जीवनी थी, जिसे की उनके बेटे अमृत राय ने लिखा |
किसी भी साहित्य प्रेमी को प्रेमचंद को अवश्य पढ़ना चाहिए, उनका साहित्य पीढ़ियों को राह दिखाने का काम करेगा |
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