क्या बेहतर कहानियां बेहतर दुनिया का निर्माण कर सकती हैं?
Heyuno! डिजिटल मीडिया में हिंदी भाषा में सरल, स्पष्ट, संयमित, संतुलित, सार्थक, सकारात्मक, समावेशी और शोधपरक सूचनाएं मुहैया कराने का एक प्रयास है.
हमारा एकमात्र उद्देश्य सही और सटीक जानकारियां देकर पाठकों को सशक्त करना है. कोई भी जानकारी या सूचना एक समग्र और विस्तृत संपादकीय प्रक्रिया के बाद ही हमारे पन्नों पर प्रकाशित होती है.
हम जो छापेंगे उसकी पूरी ज़िम्मेदारी लेंगे, ग़लती होगी तो माफ़ी भी मांगेंगे लेकिन आपको भ्रमित नहीं करेंगे, हमारी कहानियां आपको प्रसन्न और प्रेरित करेंगी, चौकाएंगी, हंसाएंगी और रुलाएंगी भी. हमें उम्मीद है कि
Heyuno! पढ़कर आपके दिल-ओ-दिमाग़ में खुलापन आएगा और दुनिया को ठहरकर देखने का एक नया नज़रिया विकसित होगा.
हमारा विश्वास है कि नज़रिया बदलेगा तो दुनिया भी बदलेगी या बेहतर होगी.
फ़ेक न्यूज़, हल्के कंटेट, मसालेदार ख़बरों, चुटकुलेबाज़ी, राजनीतिक आरोपबाज़ी और पांच हज़ार रुपए में वेबसाइट बन जाने के इस दौर में हम आपके भीतर ख़बरों को पढ़ने और ख़बरों की दुनिया को परखने की समझ विकसित करना चाहते है.
व्हाट्सएप और सोशल मीडिया की दुनिया ने ख़बर को बहुत सस्ता कर दिया है, और इस सस्तेपन में विश्वसनीयता और ज़िम्मेदारी खो गई है. अब कोई भी ख़बर लिख सकता है, वेबसाइट चला सकता है. लेकिन पढ़ने वालों को नहीं पता कि ये ख़बर कौन लिख रहा है और ये सही भी है या नहीं. लोग कई बार झूठी और भ्रमित करने के उद्देश्य से लिखी गई ख़बरों को शेयर कर देते हैं, बिना ये जाने कि इससे समाज को नुक़सान हो रहा है.
मीडिया में बदलाव के इस दौर में Heyuno! एक ऐसा प्लेटफ़ार्म बनना चाहता है जो ख़बर की विश्वसनियता और आपके विश्वास को बनाए रखे.
हमारी रिपोर्टों में आप होंगे, आपका योगदान होगा, आपका नज़रिया भी होगी. लेकिन इस सबके साथ हमारी ज़िम्मेदारी भी होगी.
Heyuno! के ज़रिए आप ज़िम्मेदारी के साथ अपनी बात रख सकते हैं. हम और आप मिलकर एक ऐसा जागरुक समुदाय बना सकते हैं हर आवाज़ का महत्व हो.
सिर्फ़ कहानियां नहीं, जानकारी भी
हम नीति निर्माताओं और जनप्रतिनिधियों का ध्यान आकर्षति करने के लिए प्रभावशाली जन अभियान चलाते हैं ताक़ि जनता के मुद्दों पर कार्रवाई की जा सके. हमारा मानना है कि सिर्फ़ ख़बर लिख देने या कहानी कह देने से हमारी ज़िम्मेदारी पूरी नहीं हो जाती. मुद्दे के सार्थक अंजाम तक पहुंचाने में हमारी भी भूमिका है और हम उसे निभाते रहेंगे.हमारा विश्वास है कि किसी समस्या को सुलझाने के लिए सत्ता और साधन से ज़्यादा इरादे और दृढ़ विश्वास की ज़रूरत होती है.
भारत को कम लापरवाह और ज़्यादा जागरूक बनाना
अंतरराष्ट्रीय सर्वे के मुताबिक दुनिया के सबसे अनभिज्ञ राष्ट्रों की सूची में भारत का पहला स्थान है. ऐसे युग में जहां व्हाट्सएप पर आगे बढ़ाए गए संदेश ही जानकारी और ग़लतफ़हमियों का स्रोत हों, हमारा उद्देश्य मनगढ़ंत किस्से-कहानियों से तथ्यों को अलग करके पाठकों को संतुलित, निष्पक्ष और विस्तृत जानकारियां देना है.
क्या बेहतर कहानियां बेहतर दुनिया का निर्माण कर सकती हैं?
हमारा विश्वास है कि हां, अच्छी रिपोर्टों से दुनिया बेहतर हो सकती है. हम जो पढ़ते हैं, देखते हैं, सुनते हैं उससे ही हमारे विचार और चरित्र बनते हैं.
हमारा मानना है कि सार्थक रिपोर्टों और कहानियां पढ़ने वाली पीढ़ि के विचार ज़्यादा स्वस्थ और सकारात्मक होंगे. जब लोग जागरूक, ज़िम्मेदार और सहृदयी होंगे.
आपकी सोशल मीडिया फ़ीड में पहले से ही क्लिकबेट और जंक कंटेंट की भरमार है. आप रोज़ाना शीर्षक पढ़कर ख़बर पर जाते हैं निराश होते हैं.
हम सार्थक कंटेंट देकर एक जागरूक समाज बनाना चाहते हैं.
स्वतंत्र मीडिया क्यों
कुछ ख़बरें ऐसी होती हैं जिन्हें वो चाहते हैं कि आप पढ़ें और कुछ मुद्दे ऐसे होते हैं जिन्हें आपके ध्यान में आना ज़रूरी होता है.
किसी भी मीडिया पब्लिशर के लिए ये महत्वपूर्ण है कि वो ऐसी ख़बरों को प्रकाशित कर पाए जिन्हें जानना आपके लिए ज़रूरी है. स्वतंत्र रहकर हम उन मुद्दों को उठा पाते हैं जो आपके लिए, हम सबके लिए ज़रूरी हैं.
हम किसी भी सरकारी, अर्ध-सरकारी, धार्मिक या राजनीतिक संगठन से किसी तरह का कोई चंदा स्वीकार नहीं करते हैं. हम किसी ऑयल या गैस कोर्पोरेशन से भी आर्थिक मदद स्वीकार नहीं करते हैं.
क्या हमारा झुकाव किसी ख़ास धर्म की ओर है
नहीं बिलकुल नहीं. हम अंतरात्मा को धर्म पर तरजीह देते हैं.
क्या हमारा कोई राजनीतिक झुकाव है
नहीं, बिलकुल नहीं. हम किसी राजनीतिक विचार या पार्टी से न प्रभावित हैं, न संबंधित. हम बस मुद्दों की और ध्यान आकर्षित करना चाहते हैं.
दूसरों पर सवाल उठाने से समाधान नहीं होता.
हमारे मूल्य
संवेदना, सह-अस्तित्व, स्वयंसेवा, समान अधिकार और अभिव्यक्ति की आज़ादी.
हमारा ध्यान सबसे ज़्यादा किस ओर है
नागरिक अधिकार, शासन, पर्यावरण, शिक्षा, स्वास्थ्य और जन व्यवस्थाएं.